एक नन्हीं सी दास्ताँ थी
कहीं खो गयी,
मैं भी निरा भुलक्कड़
सारे किरदार और
भूमिका भी भूल गया..
शायद,
कोई किसान रहा होगा, विदर्भ का,
या फिर कोई बेरोज़गार, ग़ुमराह, अपराधी युवक..
मुंबई के फुटपाथ पे सोया हुआ
भिखारी भी हो सकता है,
और किसी भ्रष्ट नेता या अफ़सर की कल्पना से भी
इनकार नहीं कर सकते..
लगता है-
सारे हिन्दुस्तान में खोजना पड़ेगा..
अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeletedeep thoughts, indeed!!
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