मृगतृष्णा
Tuesday, November 2, 2010
ऑर्डर
कपास के रेशों की तरह
कुछ ख़याल हैं ज़हन में,
ये मन जुलाहा उन्हें साफ़ कर
शफ्फाक़ रुई बना रहा है,
सूत तैयार होते ही बुनेगा..
एक और नज़्म का ऑर्डर आया है !!
2 comments:
Udan Tashtari
November 2, 2010 at 5:00 AM
वाह! क्या बात है!!
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दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA
November 3, 2010 at 8:47 PM
ek alag hi jahaan mein le gaye aap ! waah bahut acchi hai :-)
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वाह! क्या बात है!!
ReplyDeleteek alag hi jahaan mein le gaye aap ! waah bahut acchi hai :-)
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