Tuesday, November 2, 2010

ऑर्डर

  
कपास के रेशों की तरह
कुछ ख़याल हैं ज़हन में,
ये मन जुलाहा उन्हें साफ़ कर
शफ्फाक़ रुई बना रहा है,
सूत तैयार होते ही बुनेगा..
एक और नज़्म का ऑर्डर आया है !!


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