Saturday, March 5, 2011

जायका



यूँ ही ठहाकों में गुज़री ज़िन्दगी
तो क्या गुज़री...
कभी ग़म में भी कटे दिन,
तो जायका बदले.

नज़ारा हर रोज़ आसमां का,

चाँद भी बदलता है..
अमावस का अँधेरा तो जी लूँ,
फिर पूनम का गुलशन खिले,
तो समां बदले...

12 comments:

  1. क्या बात है! अगर गम न हों दुनियाँ में तो सुखों की कीमत क्या होगी..बहुत सुंदर..

    ReplyDelete
  2. 'कभी गम में भी कटे दिन

    तो जायका बदले '

    वाह , गज़ब की पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  3. वाह क्या जायका है…………सुन्दर रचना।

    ReplyDelete
  4. @Kailash Sir, Jhanjhat Ji, Vandana mam- Dhanyavaad.. :)

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर भाव ..क्या जायका है ..यूँ ही जिन्दगी को जीते रहें ..संजीदगी से ..शुक्रिया

    ReplyDelete
  6. वाह जी वाह ! जीवन का सच्च बखूबी दर्षाया है!

    ReplyDelete
  7. आपने जायका बदल दिया .. अपनी ही एक कहानी पढ़ी थी अभी कडुवाहट भरी ... और अब इस सुन्दर कविता से अच्छा हो गया ... उम्दा लिखा है..

    ReplyDelete
  8. वाह क्या जायका है|बहुत सुंदर भाव|धन्यवाद|

    ReplyDelete
  9. बहुत बढ़िया ...होली की शुभकामनायें

    ReplyDelete