नन्हा चाँद
आजकल
चाँद बड़ा शरारती हो गया है,
बादलों की ओट में
घोंसला सा बना के छिप जाता है,
बीच बीच में
थोडा सा सर निकालता है,
नन्हे बच्चे की तरह
मेरे साथ लुक्का छुप्पी खेल रहा है..
ख्वाहिश करता हूँ
ये फ़लक और ज़मीं की दूरी मिट जाए
और ये नन्हा बालक
मेरे आँगन में आकर
अपने नन्हे हाथों से अपनी आँखों को ढके,
फिर खोले और फिर ढके...
वाह! कितनी प्यारी ख्वाहिश है।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
बहुत सुंदर शब्दों से सजी कविता ........ प्रभावी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteDhnayavaad Vandana jii, Monika jii..
ReplyDelete@vandana Ji: Charachamanch pe meri kavita ko sthan Dene ke liye mai apka abhari hu..Dhanyavaad.
बहुत सुन्दर भाव और उतनी ही सहज और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteDhanyavaad Kailash Ji.
ReplyDeletemachha diya bhai...
ReplyDelete