Monday, September 13, 2010

सपने ना गिर जाएँ..


तू चल राही पर ज़रा सम्हल,

मुट्ठी ना खुल जाए,
जो बीने हैं राहों से,
सपने ना गिर जाएँ...

कस के बाँध ले झोली,
जब तू दौड़े जीवनपथ पर,
कहीं तेरे आवेग में ये
झोली ना खुल जाए...

3 comments:

  1. बहुत ही सुंदर...कहीं सपने न गिर जाएं...बहुत खूब

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  2. अति सुन्दर !!! बहुत कुछ कहती हुई !!!

    अथाह...

    धन्यवाद !!!

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