Sunday, January 16, 2011

आओ, पतंग उड़ायें


आओ, पतंग उड़ाएं, कुछ ख़्वाब सजाएँ..
आसमान में ऊंचे उड़ते,
दुनियां की नज़रों में बसते,
कभी उलझती कभी सुलझती,
जीवन की डोर सम्हाले,
कुछ सच्चे ख़्वाब सजाएं...

आओ पतंग उड़ाएं, कुछ साथी बनाएं..
चरखी पकड़ें या पेंच लड़ाएं,
जीवन युद्ध में साथ में साथ निभाएं,
मंज़िल की हर पगडण्डी
और दोराहे पर राह सुझाते,
कुछ सच्चे साथी बनाएं...

आओ, पतंग उड़ायें.....

8 comments:

  1. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (17/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

    ReplyDelete
  2. जीवन की डोर सम्हाले,
    कुछ सच्चे ख़्वाब सजाएं...

    Bahut hi sunder panktiyan....

    ReplyDelete
  3. अच्छी लगी आपकी पतंग. मेरे ब्लॉग पर मेरी पतंग जरा हट के है.उसे भी देखें.

    ReplyDelete
  4. बहुत प्रेरक प्रस्तुति..

    ReplyDelete
  5. @Vandana Mam, Monika mam, Rachna mam, kailaash sir: protsaahan ke liye aap sabhi ka Dhanyavaad.. abhi seekhne ki koshish kar raha hu..aap sab ke blogs kaafi prerit karte hain.. :)

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर रचना है..
    कभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक नज़र डालें .

    ReplyDelete