एक अन्जाना ख़्वाब
बरस रहा है आज कहीं,
कुछ मटियाली यादों से
परतें माटी की,
धीरे धीरे गीली होकर
महक रहीं हैं आज कहीं !!
बीते जीवन के कुछ लम्हे
बरसों पहले दफनाये थे,
इस बारिश के गीलेपन से
उन लम्हों के अंकुर,
सौंधी माटी में से उठकर
फूट रहे हैं आज कहीं !!
रंग बिरंगे सपनों से
कुछ शक्लें रंग डाली थीं,
तन्हाई के आलम में
वो धुंधलाई शक्लें,
तस्वीरों के कोनों से
झाँक रहीं हैं आज कहीं !!
Photo Courtesy- Uttam Sikaria
blog: utmsikaria.wordpress.com
गुज़रा जीवन भी कहाँ साथ छोड़ता है.... बहुत सुंदर लिखा
ReplyDeleteएक अन्जाना ख़्वाब
ReplyDeleteबरस रहा है आज कहीं,
कुछ मटियाली यादों से
परतें माटी की,
धीरे धीरे गीली होकर
महक रहीं हैं आज कहीं !!
माटी की सोंधी सोंधी महक जैसी अनुभूति देती हुई -
सुंदर भावात्मक रचना -
रंग बिरंगे सपनों से
ReplyDeleteकुछ शक्लें रंग डाली थीं,
तन्हाई के आलम में
वो धुंधलाई शक्लें,
तस्वीरों के कोनों से
झाँक रहीं हैं आज कहीं !!
bahut hi apne se ehsaas
Dhnyavaad Monikaji,Vnadana ji, Anupama ji, Rashmi ji.. Protsahan ke liye. :)
ReplyDeleteबीते जीवन के कुछ लम्हे
ReplyDeleteबरसों पहले दफनाये थे,
इस बारिश के गीलेपन से
उन लम्हों के अंकुर,
सौंधी माटी में से उठकर
फूट रहे हैं आज कहीं !!
बहुत सुंदर कविता
कभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग //shiva12877.blogspot.comपर भी अपने एक नज़र डालें
बहुत सुन्दर रचना ...अतीत की यादों का भावपूर्ण चित्रण !
ReplyDeleteAabhar Surender ji, Shiva ji. :)
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबीते जीवन के कुछ लम्हे
ReplyDeleteबरसों पहले दफनाये थे,
इस बारिश के गीलेपन से
उन लम्हों के अंकुर,
सौंधी माटी में से उठकर
फूट रहे हैं आज कहीं !!
वाह... b'ful thought !!
पूरी नज़्म ही ख़ूबसूरत है...
Dhanyavaad Richa ji..
ReplyDelete