Sunday, October 24, 2010

अफसानों की तलाश


कुछ और भी होंगे अफ़साने
कहीं दबे हुए,
अनगिनत ख़यालों और कुछ अनछुए पहलुओं को-
ख़ुद में समेटे हुए,
शायद कहीं अँधेरी गलियों के नुक्कड़ों पे
मिल जाएँ...
चलो ढूंढते हैं !!!

2 comments:

  1. मैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर कविता.

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  2. मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !

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