ख़यालों ने ज़हन में
एक ज़मीं सी बनाई है,
हसरतों के बीज
जो गिराए मैंने-
अहसासों ने बड़े अदद से
सींचा है उन्हें..
जिस्म ने,
लहू के कतरे कतरे से
खींचकर साँसें कुछ-
उग रहे नन्हे पौधों को
बड़ी शिद्दत से पिलाई हैं..
अब फसल पकने का इंतज़ार है,
ये हसरतें भी-
रंग लायेंगीं कभी..
बहुत सुंदर............
ReplyDeleteआशा की फसल ज़रूर लहलहाएगी.................
मीठे मीठे फलों से भर देगी दामन.......................
अनु
हसरतें भी-
ReplyDeleteलहलहायेंगीं,
रंग लायेंगीं कभी.... ?
जरुर .... अवश्य .... बेशक ....
Shukriya Vibhaji..
Deleteमेहनत का फल अवश्य मिलता है....ब्रजेन्द्र जी,...
ReplyDeleteआपका फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,...
अनुपम भाव लिए सुंदर रचना...बेहतरीन पोस्ट
.
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
Dhanyvaad Dheerji..
Deleteअच्छी अभिव्यक्ति, बधाईयाँ !
ReplyDeleteDhanyvaad..
Deleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteDhanyvaad Kailash Sir :)
Deleteबहुत सुन्दर,बधाई.
ReplyDeleteDhanyvaad :)
Deletebahut sunder post..
ReplyDeleteAabhar !!
Deleteबहुत खूबसूरत ...कविता बार बार पढने को मजबूर करती है
ReplyDeleteBhaskar Bhaiji Shukriya.. :)
Deleteअरे ये प्यारी रचना तो हमने कभी की पढ़ ली थी...और हमारा कमेन्ट भी नदारद है??????
ReplyDeleteaapka comment waapas aa gaya ghoom phir ke.. :P
Deleteअरे ये प्यारी सी रचना तो हम कभी की पढ़ चुके हैं.....और हमारा कमेंट भी नदारद है?
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteसादर
Aabhar Yashvant Bhai !!
Deleteबहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.कानूनी रूप से अपराध के विरुद्ध उचित कार्यवाही
ReplyDeleteDhanyvaad Shalini ji.
Deleteज़रूर रंग लायेंगी .....!!!!
ReplyDeleteShukriya Duaon ke liye :)
Deleteअरे हमारी टिप्पणियां तो खोज लाइए बिरजू जी...
ReplyDeletesorry Anuji, thode din pahle blog ka url change kiya tha..usme shayad kahi gum ho gayi hongee. lautne ke liye dhanyvaad :)
Deleteबहुत सुंदर .... टिप्पणियाँ कभी कभी स्पैम में अटक जाती हैं ...
ReplyDeleteAbhaar SangitaJi..Abhi spam ki problem thik kar di hai.. :)
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete