Thursday, March 29, 2012

रूहें कुछ सपनों की



खुरच के देखो
गुज़रे वक़्त को,
कुछ लाशें मिलेंगी ख़्वाबों की,
रूहें इनकी-
कुछ सवाल करती हैं,
जिनका कोई जवाब नहीं
बस
एक मायूस दिल है..
ये रूहें गुज़रे ख़्वाबों की-
सताती रहेंगी,
जब तलक
मेरी रूह भी
इनमें मिल नहीं जाती..

29 comments:

  1. अधूरे ख्वाब अकसर कांटे बन चुभा करते हैं सीने में.
    वाह!!!
    बहुत सुन्दर...

    अनु

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  2. बहुत सुन्दर रचना ..
    बधाई .

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  3. बहुत सुंदर ... मार्मिक चित्रण है सपनों का

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  4. बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति....

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  5. बहुत प्रशंसनीय प्रस्तुति

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  6. बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.

    मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें.

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  7. Abhaar..Dhanyavaad Haisla Afjaee ka. :)

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  8. Wow.. Just awesome.. Hindi Bhaasha me ek jaadu hai jo dil ko choo jaati hai.. Well written Bijendra:)

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  9. अनुपम भाव संयोजन लिए ...बहुत बढि़या प्रस्‍तुति।

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  10. hello Birju !!
    thanks 4 visiting me and giving me the opportunity to land here :)

    Lovely blog u have..
    very intense emotions u have expressed in above lines.. Loved it !!

    wish to c u more :)

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  11. अतीत यूहीं सालता रहता है ......सुन्दर अभिव्यक्ति

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  12. शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी मार्मिक रचना ....
    सुन्दर प्रस्तुति.

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  13. umda rachna,bdhai aap ko

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  14. सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  15. हौसला अफजाई का शुक्रिया.. :)

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