Thursday, July 23, 2009

कल मरना मुझे गंवारा है



आज सुहानी सुबह हुई, सूरज का बुलंद सितारा है ,
मस्त हवा के झोंके ने, हर वृक्ष का बदन उघारा है ,
ऐसे मस्ती के मौसम में, जब साथ तुम्हारा प्यारा है,
आज बचा लो यारो, कल मरना मुझे गंवारा है !!

हर फूल की बाहें खुली हुई, भंवरों की दीवानी हैं ,
हर पत्ती पत्ती खिली हुई, मौजों की अलग कहानी है ,
दूर क्षितिज पर आज किसी ने , मल्हारी राग पुकारा है ,

आज बचा लो यारो, कल मरना मुझे गंवारा है !!

ज़र्रे ज़र्रे मैं जीवन है , महका मिट्टी का हर कण है ,
दिन चला शाम से मिलने को , बढती उसकी हर धड़कन है ,
उनके मिलन के इन्द्र धनुष को , प्रकृति ने सजा संवारा है ,
आज बचा लो यारो, कल मरना मुझे गंवारा है !!

मदमस्त समय के जाने पर , अब रात सुहानी आई है ,
आकाश से बादल चले गए , तारों की महफ़िल छाई है ,
मन करता है चला जाऊ इनमे , चंदा ने डोल उतारा है ,
खो जाऊँ गर तारों में , ऐसा अंत भी मुझको प्यारा है !!

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