लम्हे, तेरे इंतज़ार के
इंतज़ार में तेरे
लम्हे जो गुज़ारे,
अहमियत उनकी
आज महसूस की है..
इन्ही लम्हों में
तलाश किया मैंने
तेरे साथ ख़ुद को..
क़ायनात की खूबसूरती में
तेरे अक्श को देखा
तो कुदरत को
तेरे दामन की दासी पाया..
फिर तमन्ना है जीने की
उन्ही लम्हों को,
शायद
इसी बहाने
ये उम्र गुज़र जाए..
उन्ही लम्हों को,
ReplyDeleteशायद
इसी बहाने
ये उम्र गुज़र जाए..भावों से नाजुक शब्द को बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने.........
Dhanyvaad Sushma JI :)
Deleteवाह ……………मन के कोमल भावो का बहुत सुन्दर चित्रण किया है…………बेहद शानदार प्रस्तुति।
ReplyDeleteAbhaar Bhaskar Bhai..aise hi Hausla Badhate rahiyega hum likhte rahenge.. :)
Deleteसुन्दर सृजन, बधाई.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारें, आभारी होऊंगा.
बहुत खूब ....
ReplyDeleteइंतज़ार में तेरे
ReplyDeleteलम्हे जो गुज़ारे,
अहमियत उनकी
आज महसूस की है..
babht achha.......
Dhanyvaad :)
Deleteफिर तमन्ना है जीने की
ReplyDeleteउन्ही लम्हों को,
शायद
इसी बहाने
ये उम्र गुज़र जाए..
कभी कभी यादे ही जीने का सहारा बन जाती है..
गहरे भाव लिए रचना....
इंतज़ार में तेरे
ReplyDeleteलम्हे जो गुज़ारे,
अहमियत उनकी
आज महसूस की है..
बहुत खूब...
सुन्दर दिल को छु लेनेवाली पंक्तिया....
धन्यवाद रीना जी :)
Deleteतेरे अक्श को देखा
ReplyDeleteतो कुदरत को
तेरे दामन की दासी पाया..
Awesome metaphors u've used..
beautifully written !!
Thanks Jyoti..
Deleteबहुत खूब सर!
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद यशवंत जी :)
Deleteवाह!!!!
ReplyDeleteइन्ही लम्हों में
तलाश किया मैंने
तेरे साथ ख़ुद को.............
इन्तहा है प्यार की............
बहुत सुंदर.
Thank You :)
Deleteफिर तमन्ना है जीने की
ReplyDeleteउन्ही लम्हों को,
शायद
इसी बहाने
ये उम्र गुज़र जाए..
...वाह ! बेहतरीन प्रस्तुति....
Thank you Sir :)
Deleteइंतज़ार में तेरे
ReplyDeleteलम्हे जो गुज़ारे,
अहमियत उनकी
आज महसूस की है..
सच में किसी के इंतजार में गुजरे लम्हों की अहमियत जीवन में सदा ही बनी रहती है ......!
Dhanyvaad KevalRam Ji :)
Deletekhwab, ummeede na ho to jeena kaisa.....koi to bahaha ho jeene k liye.
ReplyDeletesunder prastuti.
Abhaar AnamikaJi !!
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