Tuesday, February 8, 2011

एक मुस्कुराहट


कहीं पुरानी यादों की
कड़वाहट थी,
कुछ ज़ख्मी अहसासों के
निशां थे सीने में,
बीते हुए कल के गुनाहों से
आज की एक दूरी थी
दरम्यान,
आधी साँसें ज़िन्दगी की
खर्च कर दीं
ज़ख्मों की नाप तौल में,
और दूरी बढती रही...

अभी अभी कुछ नन्हे

अहसास जगे हैं,
बीते को बीता समझा
और
दूरी को मैंने एक मुस्कुराहट से मिटा दिया...

7 comments:

  1. अभी अभी कुछ नन्हे
    अहसास जगे हैं,
    बीते को बीता समझा
    और
    दूरी को मैंने एक मुस्कुराहट से मिटा दिया...
    bahut achha kiya , sab sundar rahe ab

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  2. बहुत खूब्।बसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएं.

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  3. 'दूरी को मैंने एक मुस्कराहट से मिटा दिया '
    बहुत सुन्दर पोस्ट !

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  4. सुन्दर भावाभिव्यक्ति,सुन्दर सन्देश !!!

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  5. Jhanjhat sahab, Bhaskar ji - Dhanyavaad :)

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  6. आधी साँसें ज़िन्दगी की
    खर्च कर दीं
    ज़ख्मों की नाप तौल में,
    और दूरी बढती रही...

    दूरी को मैंने एक मुस्कुराहट से मिटा दिया...


    ये काम पहले कर देते तो दूरी बढ़ती ही क्यूँ भला... पर क्या करें हम सब इतने समझदार हो जाएँ तो इन्सान कहाँ रह जायेंगे फिर...

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