वाह ,,,, बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,, RECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....
bahut hee sundar prastuti.
वाह.........................सुंदर....अति सुंदर.....देर आये दुरुस्त आये....:-)
ज़रा झलका दे ये गठरी गिरा दे एक टुकड़ा उजाले का मेरे दिल में,अरसे से वहां अँधेरे बहुत हैं...bahut khoob...!
ज़रा झलका दे ये गठरी गिरा दे एक टुकड़ा उजाले का मेरे दिल में,अरसे से वहां अँधेरे बहुत हैं...बहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......
बहुत खूब....
ज़रा झलका दे ये गठरीगिरा दे एक टुकड़ाउजाले का मेरे दिल में,अरसे से वहांअँधेरे बहुत हैं...वाह ...बहुत खूब लिखा है ... आपने
concluding lines r awesome !!!intense n full of meaning
बहुत सुंदर रचना ...बधाई
आभार संगीता जी...... :)
वाह!!! बहुत खूब लिखा है आपने....
बहुत खूब ! सुन्दर भावमयी रचना...
ऐ शब् !!ज़रा झलका दे ये गठरी गिरा दे एक टुकड़ा उजाले का मेरे दिल में,अरसे से वहां अँधेरे बहुत हैं.....बहुत सुन्दर ....
आभार सदा जी..
bahut hi sundar bhavmay karati rachana...ज़रा झलका दे ये गठरी गिरा दे एक टुकड़ा उजाले का मेरे दिल में,अरसे से वहां अँधेरे बहुत हैं...ye panktiya to bahut hi behtarin hai...
उजाले का मेरे दिल में,अरसे से वहां अँधेरे बहुत हैं...हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।
वाह बहुत खूब |
वाह ,,,, बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteRECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....
bahut hee sundar prastuti.
ReplyDeleteवाह.........................
ReplyDeleteसुंदर....
अति सुंदर.....
देर आये दुरुस्त आये....
:-)
ज़रा झलका दे ये गठरी
ReplyDeleteगिरा दे एक टुकड़ा
उजाले का मेरे दिल में,
अरसे से वहां
अँधेरे बहुत हैं...
bahut khoob...!
ज़रा झलका दे ये गठरी
ReplyDeleteगिरा दे एक टुकड़ा
उजाले का मेरे दिल में,
अरसे से वहां
अँधेरे बहुत हैं...बहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......
बहुत खूब....
ReplyDeleteज़रा झलका दे ये गठरी
ReplyDeleteगिरा दे एक टुकड़ा
उजाले का मेरे दिल में,
अरसे से वहां
अँधेरे बहुत हैं...
वाह ...बहुत खूब लिखा है ... आपने
concluding lines r awesome !!!
ReplyDeleteintense n full of meaning
बहुत सुंदर रचना ...बधाई
ReplyDeleteआभार संगीता जी...... :)
ReplyDeleteवाह!!! बहुत खूब लिखा है आपने....
ReplyDeleteबहुत खूब ! सुन्दर भावमयी रचना...
ReplyDeleteऐ शब् !!
ReplyDeleteज़रा झलका दे ये गठरी
गिरा दे एक टुकड़ा
उजाले का मेरे दिल में,
अरसे से वहां
अँधेरे बहुत हैं...
..बहुत सुन्दर ....
आभार सदा जी..
ReplyDeletebahut hi sundar bhavmay karati rachana...
ReplyDeleteज़रा झलका दे ये गठरी
गिरा दे एक टुकड़ा
उजाले का मेरे दिल में,
अरसे से वहां
अँधेरे बहुत हैं...
ye panktiya to bahut hi behtarin hai...
उजाले का मेरे दिल में,
ReplyDeleteअरसे से वहां
अँधेरे बहुत हैं...
हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।
वाह बहुत खूब |
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