मृगतृष्णा
Saturday, September 22, 2012
कुछ अश्क ढूंढें हैं
"गुनाहों की कब्र को खोदकर
कुछ अश्क ढूंढें हैं,
मैले हुए ख़यालों को
दाग लगे कुछ
रूह के टुकड़ों को,
धोना है उनसे आज..."
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