!! कभी दिल में तमन्ना हो
तो आ जाना मेरे दुश्मन,
किसी बेगाने मंज़र में
गिले शिक़वे भुला लेंगे !!
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!! मेरा मौला वहीँ रहता
जहाँ दिल साफ़ बसते हैं,
वो इंसानी फ़रिश्ते जो
ज़ुबां से साज़ लिखते हैं !!
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!! वो हर पल बात करते हैं
मेरे दिल को जलाने की,
ना उनको इल्म है इतना
ये दिल आंसू बहाता है !!
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sundar rachna
ReplyDeleteमेरा मौला वहीँ रहता
ReplyDeleteजहाँ दिल साफ़ बसते हैं,
वो इंसानी फ़रिश्ते जो
ज़ुबां से साज़ लिखते हैं !!bahut badhiya
वाह...
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत!!!!!
बहुत ही सुन्दर,,
ReplyDeleteबेहतरीन रचना...
!! मेरा मौला वहीँ रहता
ReplyDeleteजहाँ दिल साफ़ बसते हैं,
वो इंसानी फ़रिश्ते जो
ज़ुबां से साज़ लिखते हैं !!
....बहुत सुंदर....
aap sabka aabhar shukriya.. :)
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया....बहुत बेहतरीन प्रस्तुति...!
ReplyDeleteतिलमिलाहट की प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति
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