'चलता रह मंजिल करीब है गर आस है' आशा ही जीवन है ....प्रेरक रचना
सही बात …………सुन्दर अभिव्यक्ति।
अरे, अभी सांस है,चलता रह,मंज़िल क़रीब हैगर आस है..बहुत सुन्दर प्रेरक रचना..
धन्यवाद... सुरेन्द्र जी,वंदना जी, कैलाश सर..
कोमल भावों से सजी ............दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
'चलता रह
ReplyDeleteमंजिल करीब है
गर आस है'
आशा ही जीवन है ....प्रेरक रचना
सही बात …………सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteअरे, अभी सांस है,
ReplyDeleteचलता रह,
मंज़िल क़रीब है
गर आस है..
बहुत सुन्दर प्रेरक रचना..
धन्यवाद... सुरेन्द्र जी,वंदना जी, कैलाश सर..
ReplyDeleteकोमल भावों से सजी ..
ReplyDelete..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती